Friday 15 February 2013

शिव स्वरोदय(भाग-2)


शिव स्वरोदय(भाग-2)

इस अंक में भगवान शिव ने माँ पार्वती को विभिन्न प्रकार से स्वर की महिमा समझाई है।
ब्रह्माण्ड-खण्ड-पिण्डाद्याः स्वरेणैव हि निर्मिताः।
सृष्टि संहारकर्त्ता च स्वर‑ साक्षान्महेश्वरः।।20।।
अन्वय -- स्वरेण एव हि ब्रह्माण्ड-खण्ड-पिण्डाद्या:
निर्मिता: स्वर: च सृष्टिसंहारकर्ता साक्षात् महेश्वर:।
भावार्थ -- ये विराट और लघु ब्रह्माण्ड और इनमें स्थित सभी वस्तुएं स्वर से निर्मित हैं और स्वर ही सृष्टि के संहारक साक्षात् महेश्वर (शिव) हैं।
English Translation:- These endless and small universes and each and every thing thereon are created by the Swara. And this very Swara itself is Lord Maheshwar, the destroyer of the creation.
स्वरज्ञानात्परं    गुह्मम्    स्वरज्ञनात्परं     धनम्।
स्वरज्ञानत्परं ज्ञानं नवा दृष्टं नवा श्रुतम्।।21।।
अन्वय -- स्वरज्ञानात् परं गुह्यं (ज्ञानं), स्वरज्ञानात् परं धन,
स्वरज्ञानात् परं ज्ञानं नवा दृष्टं नवा श्रुतम्।
भावार्थ& स्वर के ज्ञान से बढ़कर कोई गोपनीय ज्ञान, स्वर-ज्ञान से बढ़कर कोई धन और स्वर ज्ञान से बड़ा कोई दूसरा ज्ञान न देखा गया और न ही सुना गया है।
English Translation:- Knowledge of Swara is the most secret knowledge, the most precious wealth and the most advanced knowledge in the world. Such a knowledge and wealth other than the knowledge of Swara have been neither seen nor heard so far.
शत्रून्हन्यात्       स्वबले     तथा     मित्र     समागमः।
लक्ष्मीप्राप्तिः स्वरबले कीर्तिः स्वरबले सुखम्।।22।।
अन्वय -- स्वरबले शत्रून् हन्यात् तथा मित्रसमागम
स्वरबले लक्ष्मी-कीर्ति-सुखप्राप्ति:।
भावार्थ& -- स्वर की शक्ति से शत्रु पराजित हो जाता है, बिछुड़ा मित्र मिल जाता है। यहाँ तक कि माता लक्ष्मी की कृपा, यश और सुख, सब कुछ मिल जाता है।
English Translation:- An enemy is killed, a lost friend is reunited, wealth, fame, pleasure, every thing is obtained by the power acquired by practice of Swara Sadhana.
कन्याप्राप्ति      स्वरबले      स्वरतो      राजदर्शनम्।
स्वरेण देवतासिद्धिः स्वरेण क्षितिपो वशः।।23।।
अन्वय -- स्वरबले कन्याप्राप्ति:, स्वरतो राजदर्शनम् स्वरेण देवतासिद्धि: स्वरेण क्षितिपो वश:।
भावार्थ& -- स्वर ज्ञान द्वारा पत्नी की प्राप्ति, शासक से मिलन, देवताओं की सिद्धि मिल जाती है और राजा भी वश में हो जाता है।
English Translation:- By applying knowledge of Swara one can get married with a beautiful and well cultured bride, can see a highest administrator or King and can make gods and kings in favour.
स्वरेण गम्यते  देशो  भोज्यं स्वरबले    तथा।
लघुदीर्घं स्वरबले मलं चैव निवारयेत्।।24।।
अन्वय -- स्वरेण देश: गम्यते स्वरबले भोज्यं तथा स्वरबले लघुदीर्घं
मलं च एव निवारयेत्।
भावार्थ& -- अनुकूल स्वर के समय यात्रा करनी चाहिए, स्वादिष्ट भोजन करना चाहिए तथा मल-मूत्र विसर्जन भी अनुकूल स्वर के काल में ही करना चाहिए।
English Translation:- Our all actions like traveling, taking food, passing stool and urine etc. should be done while suitable Swara is running i.e. Ida (left nostril breath) or Pingala (the right nostril breath).
सर्वशास्त्रपुराणादि                स्मृतिवेदांगपूर्वकम्।
स्वरज्ञानात्परं तत्त्वं नास्ति किंचिद्वरानने।।25।।
अन्वय -- हे वरानने, स्वर ज्ञानात्परं सर्वशास्त्रपुराणादिस्मृतिवेदांगपूर्वकं
तत्वं किंचिद् न अस्ति।
भावार्थ& -- हे वरानने, सभी शास्त्रों, वेदों, वेदान्तों, पुराणों और स्मृतियों द्वारा बताया गया कोई ज्ञान या तत्व स्वर ज्ञान से बढ़कर नहीं है।
English Translation:- O Beautiful Goddess all kinds of knowledge acquired by the study of different Shastras, Vedas. Vedantas, Puranas and Smritis cannot equate with the knowledge of Swara.
नामरूपादिकाः   सर्वे   मिथ्या   सर्वेषु     विभ्रमः।
अज्ञान मोहिता मूढ़ा यावत्तत्त्वे न विद्यते।।26।।
अन्वय -- यावत् तत्वे (पूर्णतया ज्ञानं) न विद्यते, (तावत्) अज्ञानमोहिता: मूढ़ा: सर्वेषु सर्वे नामादिका: मिथ्या विभ्रम: (जायते)।
भावार्थ& -- जब तक तत्वों का पूर्ण ज्ञान नहीं हो जाता, तब तक हम अज्ञान के वशीभूत होकर नाम आदि के मिथ्या भवजाल में फंसे रहते हैं।
English Translation:- Unless a man gets perfect knowledge of tattvas, he is hypnotized by name, fame etc. due to ignorance.
इदं    स्वरोदयं    शास्त्रं      सर्वशास्त्रोत्तमोत्तमम्।
आत्मघट प्रकाशार्थं प्रदीपकलिकोपमम्।।27।।
अन्वय -- सर्वशास्त्रोत्तमोत्तमम् इदं स्वरोदयं शास्त्रम् (यत्) आत्मघटं
प्रकाशार्थं प्रदीपकलिकोपमम्
भावार्थ& -- स्वरोदय शास्त्र सभी उत्तम शास्त्रों में श्रेष्ठ है जो हमारे आत्मारूपी घट (घर) को दीपक की ज्योति के रूप में आलोकित करता है।
English Translation:- Swarodaya Science is the most advanced science of all that are placed at the highest. It enlightens all dimensions of our being.
यस्मै    कस्मै    परस्मै    वा       प्रोक्तं    प्रश्नहेतवे।
तस्मादेतत्स्वयं ज्ञेयमात्मनोवाऽत्मनात्मनि।।28।।
अन्वय -- यस्मै, कस्मै, परस्मै वा प्रश्नहेतवे (मात्रमेव) न प्रोक्तं,
तस्माद् एतद् स्वयं आत्मना आत्मानि आत्मन: ज्ञेयम्।
भावार्थ& -- इस परम विद्या का उद्देश्य मात्र भौतिक जगत सम्बन्धी अथवा अन्य उपलब्धियों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर पाना नहीं है। बल्कि आत्म-साक्षात्कार हेतु इस विद्या को स्वयं सीखना चाहिए और निष्ठापूर्वक इसका अभ्यास करना चाहिए।
English Translation:- This most secret knowledge is not meant for getting solutions of worldly problems or for removal of obstacles in our daily routine life. This should be learnt and practiced with devotion for self enlightenment.
    तिथिर्न        नक्षत्रं        वारो    ग्रहदेवताः।
न च विष्टिर्व्यतीपातो वैधृत्याद्यास्तथैव च।।29।।
अन्वय -- न तिथि:, न नक्षत्रं न वार: (न) ग्रहदेवता:, न च विष्टि:,
व्यतीपात: वैधृति-आद्या: तथैव च।
भावार्थ& स्वरज्ञानी को किसी काम को प्रारम्भ करने के लिए ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शुभ तिथि, नक्षत्र, दिन, ग्रहदेवता, भद्रा, व्यतिपात और योग (वैधृति आदि) आदि के विचार करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। अर्थात् कार्य के अनुकूल स्वर और तत्व के उदय काल में कभी भी कार्य प्रारम्भ किया जा सकता है।
English Translation:- A person, who is well acquainted with the knowledge of Swara Science, including practices, needs not to wait for an auspicious moment like day Nakshatra, Tithi, planet swami, Yoga etc required from the astrological point of view to start a work. What he needs is to choose swara and rising of Tattavas therein suitable for the work in hand and that moment will be always auspicious only.
कुयोगो  नास्तिको  देवि  भविता   वा कदाचन।
प्राप्ते स्वरबले शुद्धे सर्वमेव शुभं फलम्।।30।।
अन्वय -- हे देवि, (कश्चित) कदाचन कुयोगो नास्तिको भविता, (अपि)
शुद्धे स्वरबले प्राप्ते (तस्मै) सर्वम् एवं शुभं फलम् प्राप्तम्।
भावार्थ& हे देवि, यदि कोई व्यक्ति दुर्भाग्य से कभी नास्तिक हो जाये, तो स्वरोदय ज्ञान प्राप्त कर लेने पर वह पुन: पावन हो जाता है और उसे भी शुभ फल ही मिलते हैं।
English Translation:- O Goddess, in case, a person becomes atheist due to one or the other reason, he can also be pious man and he will achieve all kinds of happiness and good fortune.

देहमध्ये स्थिता नाड्यो बहुरूपाः सुविस्तरात्।
ज्ञातव्याश्च बुधैर्नित्यं स्वदेहज्ञानहेतवे।।31।।
अन्वयदेहमध्ये स्थिताः ना़ड्यः सुविस्तरात् बहुरूपाः। बुधैः स्वदेहज्ञानहेतवे नित्यं ज्ञातव्याः।
भावार्थ - मनुष्य के शरीर में अनेक नाड़ियों का जाल बिछा हुआ है। बुद्धिमान लोगों को अपने शरीर को अच्छी तरह जानने के लिए इनके विषय में अवश्य जानना चाहिए।
English Translation – Many nerves are spread in the body. Wise persons should know about them. It enable to understand our body well.
नाभिस्थानककन्दोर्ध्वमंकुरा       इव      निर्गताः।
द्विसप्ततिसहस्त्राणि देहमध्ये व्यवस्थिताः।।32।।
अन्वयनाभिस्थानककन्दोर्ध्वम् अंकुरा इव निर्गताः व्यवस्थिताः (नाड्यः) देहमध्ये द्विसप्ततिसहस्त्राणि।
भावार्थशरीर में नाभि केंद्र से ऊपर की ओर अंकुर की तरह निकली हुई हैं और पूरे शरीर में व्यवस्थित ढंग से फैली हुई हैं।

English Translation – These nerves raised from navel centre like sprout and spread through out our body in well arranged manner. However, here they are known as energy channels
नाडीस्था     कुण्डली     शक्तिर्भुजङ्गाकारशायिनी।
ततो दशोर्ध्वगा नाड्यो दशैवाधः प्रतिष्ठिताः।।33।।
अन्वय - नाडीस्था भुजङ्गाकारशायिनी कुण्डलीशक्तिः। ततो दश उर्ध्वगा नाड्यः दश एव अधः प्रतिष्ठिताः।
भावार्थइन नाड़ियों में सर्पाकार कुण्डलिनी शक्ति सोती हुई निवास करती है। वहां से दस नाड़ियां ऊपर की ओर गयी हैं और दस नीचे की ओर।
English Translation – Kundalini Shakti, the power which controls functions of our body and whole universe as well, resides in the shape of serpent in these energy channels in the dormant stage. However, its abode is Muladhar Chakra. There from ten energy channels goes upwards and ten downwards in our body.
द्वे द्वे तिर्यग्गते नाड्यो चतुर्विंशति सङ्ख्यया।
प्रधाना  दशनाड्यस्तु   दशवायुप्रवाहिकाः।।34।।
अन्वयद्वे द्वे तिर्यग्गते नाड्यः सङ्ख्यया चतुर्विशति, (तेषु) दशवायुप्रवाहिकाः दशनाड्यस्तु प्रधानाः।
भावार्थदो-दो नाड़ियाँ शरीर के दोनों ओर तिरछी गयी हैं। इस प्रकार दस ऊपर, दस नीचे और चार शरीर के दोनों तिरछी जाने वाली नाड़ियाँ संख्या में चौबीस हैं। किन्तु उनमें दस नाडियाँ मुख्य हैं जिनसे होकर दस प्राण हमारे शरीर में निरन्तर प्रवाहित होते रहते हैं।
English Translation - Two pairs of energy channels go transversally towards ears. Thus, there are twenty four main energy channels in our body. Among them there are ten, which are more important and through them pranic energy flows.
तिर्यगूर्ध्वास्तथाSधःस्था        वायुदेहसमन्विताः।
चक्रवत्संस्थिता देहे सर्वाः प्राणसमाश्रिताः।।35।।
अन्वय - तिर्यग्-ऊर्ध्वाः तथा अधः देहे वायुसमन्विताः चक्रवत् सर्वाः (नाड्यः) देहे प्राणसमाश्रिताः संस्थिताः।
भावार्थऊपर और नीचे विपरीत कोणों से निकलने वाली ये नाड़ियाँ शरीर में जहाँ आपस में मिलती हैं वहाँ ये चक्र का आकार बना लेती हैं। किन्तु इनका नियंत्रण प्राण शक्ति से ही होता है।
English Translation– Upwards, down wards and transversal running these channels cross each other. These crossing points are called centers and controlled by pranic energy.
तासां   मध्ये  दश  श्रेष्ठा  दशानां  तिस्र  उत्तमाः।
इडा च पिङ्गला चैव सषुम्ना च तृतीयका।।36।।
अन्वयतासां मध्ये दश (नाड्यः) श्रेष्ठाः, दशानाम् (अपि) तिस्रः उत्तमाः इडा
च पिङ्गला चैव सुषुम्ना च तृतीयका।
भावार्थइन चौबीस नाडियों में दस श्रेष्ठ हैं और उनमें भी तीन सर्वोत्तम हैं
इडा, पिंगला और सुषुम्ना।
English Translation – As stated above there are ten important energy channels out of twenty four and out of ten, three energy channels are the most important and they are Ida, Pingala and Sushumna.
गांधारी   हस्तिजिह्वा    पूषा  चैव   यशस्विनी।
अलम्बुषा कुहूश्चैव शङ्खिनी दशमी तथा।।37।।
अन्वयगांधारी, हस्तिजिह्वा च पूषा यशस्विनी चैव अलम्बुषा, कुहूः शङ्खिनी
चैव दशमी तथा।
भावार्थउक्त तीन नाड़ियों के अलावा सात नाड़ियाँ हैं गांधारी, हस्तिजिह्वा,
पूषा, यशस्विनी, अलम्बुषा, कुहू और शंखिनी।
English Translation – Other seven energy channels are Gandhari, Hastijihva, Pusha, Yashaswini, Alambusha, Kuhu and Shankhini. 





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