Thursday 21 February 2013

आधुनिक खान-पान से छोटे हो रहे हैं बच्चों के जबड़े




आधुनिक खान-पान से छोटे हो रहे हैं बच्चों के जबड़े

आज समाज में आधुनिक खान-पान (फास्टफूड) का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। व्यस्त जीवन अथवा आलस्य के कारण कितने ही घरों में फास्टफूड का उपयोग किया जाता है। पहले भी बहुत से शोधकर्त्ताओं ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर फास्टफूड तथा ठण्डे पेय, चॉकलेट आदि को अखाद्य गिनकर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित किया है।

नई दिल्ली  स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान कचहरी के शोधकर्त्ताओं ने बालकों के स्वास्थ्य पर फास्टफूड के कारण पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव पर सर्वेक्षण किया। संस्था के दंतचिकित्सक विभाग के प्रमुख डॉ. हरिप्रकाश बताते हैं कि बच्चों के खान-पान में जिस प्रकार फास्टफूड, चॉकलेट तथा ठंडे पेय आदि तेजी से समाविष्ट होते जा रहे हैं इसकी असर बच्चों के दाँतों पर पड़ रही है। भोजन को चबाने से उनके आँतो और जबड़ों को जो कसरत मिलती थी, वह अब कम होती जा रही है। इसका दुष्परिणाम यह आया है कि दाँत पंक्तिबद्ध नहीं रहते, उबड़-खाबड़ तथा एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं एवं उनके जबड़े का आकार भी छोटा होता जा रहा है।

एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 60 से 80 प्रतिशत स्कूल के बच्चे तथा 14 से 18 प्रतिशत बुजुर्ग दाँत की तकलीफ के शिकार हैं.

डॉ. हरिप्रकाश के बताये अनुसार बच्चों के भोजन में ऐसे पदार्थ तथा फल होने चाहिए जिनको वे चबा सकें। आधुनिक खान-पान की बदलती शैली, फैशन-परस्ती और बेपरवाही स्वास्थ्य के लिए भयसूचक घंटी है।

हमारे शास्त्रों ने भी कहा हैः जैसा अन्न वैसा मन। इसलिए अपवित्र वस्तुओं से तथा अपवित्र वातावरण में बननेवाले फास्टफूड आदि से अपने परिवार को बचाओ।






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