Sunday 10 February 2013

नाभि (गोलाहुटी) के अपने स्थान से खिसकने पर


नाभि (गोलाहुटी) के अपने स्थान से खिसकने पर

 मरीज को सीधा (चित्त) सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर बाँध दें एवं उसे दो घण्टे चित्त ही सुलाकर रखें। दिन में दो बार यह प्रयोग करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है तथा दस्त आदि उपद्रव शांत हो जाते हैं।
नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को मूँगदाल की खिचड़ी के सिवाय कुछ न दें। दिन में एक-दो बार अदरक का 2 से 5 मिलिलीटर रस पिलाने से लाभ होता है।



























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