- जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो
जाता है तो उसके शरीर पर जलन तथा
खुजली होने लगती है। रात के समय इस रोग
का प्रकोप और भी अधिक हो जाता
है।
- एक्जिमा रोग से प्रभावित भाग में से कभी-कभी पानी अधिक बहने लगता
है और त्वचा भी सख्त होकर फटने लगती है। कभी-कभी तो त्वचा पर फुंसिया
तथा छोटे-छोटे अनेक दाने निकल आते हैं।
- एक्जिमा
रोग खुश्क होता है जिसके कारण शरीर की त्वचा खुरदरी तथा मोटी हो जाती है और
त्वचा पर खुजली अधिक तेज होने लगती है।
- एक्जिमा रोग अधिकतर गलत तरीके के खान-पान के कारण होता है। गलत
खान-पान की वजह से शरीर में विजातीय द्रव्य बहुत अधिक मात्रा में जमा हो
जाते हैं।
- कब्ज
रहने के कारण भी एक्जिमा रोग हो जाता है।
- दमा
रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की औषधियां प्रयोग करने के कारण भी एक्जिमा
रोग हो जाता है।
- शरीर के अन्य रोगों को दवाइयों के द्वारा दबाना, एलर्जी, निष्कासन के कारण त्वचा निष्क्रिय हो जाती है
जिसके कारण एक्जिमा रोग हो जाता है।
- औषधियों के द्वारा एक्जिमा रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं हैं, लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा एक्जिमा
रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
- एक्जिमा रोग में सबसे पहले रोगी व्यक्ति को गाजर का रस, सब्जी का सूप, पालक का रस तथा अन्य रसाहार या पानी पीकर 3-10 दिन तक उपवास रखना चाहिए। फिर
इसके बाद 15 दिनों तक फलों का सेवन करना चाहिए और इसके बाद 2 सप्ताह तक साधारण भोजन करना चाहिए। इस प्रकार
से भोजन का सेवन करने की क्रिया
उस समय तक दोहराते रहनी चाहिए जब तक की एक्जिमा रोग पूरी तरह से ठीक
न हो जाए।
- इस
रोगी से पीड़ित रोगी को फल, हरी सब्जी तथा सलाद पर्याप्त मात्रा में सेवन
करने चाहिए तथा 2-3 लीटर पानी प्रतिदिन पीना
चाहिए।
- एक्जिमा
रोग से पीड़ित रोगी को नमक, चीनी, चाय, कॉफी, साफ्ट-ड्रिंक, शराब आदि पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार एक्जिमा रोग से पीड़ित रोगी को
शाम के समय में लगभग 15 मिनट तक कटिस्नान करना चाहिए। इसके बाद पीड़ित
रोगी को नीम की पत्ती के उबाले हुए पानी से स्नान करना चाहिए। इस पानी से
रोगी को एनिमा क्रिया भी करनी चाहिए जिससे एक्जिमा रोग ठीक होने लगता
है।
- सुबह के समय में रोगी व्यक्ति को खुली हवा में धूप लेकर शरीर
की सिंकाई करनी चाहिए तथा शरीर के एक्जिमा ग्रस्त भाग पर कम से कम 2-3 बार स्थानीय मिट्टी की पट्टी का लेप करना चाहिए। जब रोगी के रोग ग्रस्त
भाग पर अधिक तनाव या दर्द हो रहा हो तो उस भाग पर भाप तथा गर्म-ठंडा
सेंक करना चाहिए।
- प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार एक्जिमा रोग से पीड़ित रोगी को
सप्ताह में 1-2 दिन भापस्नान तथा गीली चादर लपेट स्नान करना चाहिए। स्नान
करने के बाद रोगग्रस्त भाग की कपूर को
नारियल के तेल में मिलाकर मालिश करनी
चाहिए या फिर सूर्य की किरणों के
द्वारा तैयार हरा तेल लगाना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को इस उपचार के साथ-साथ
सूर्यतप्त हरी बोतल का पानी भी पीना
चाहिए।
- नीम की पत्तियों को पीसकर फिर
पानी में मिलाकर सुबह के समय में
खाली पेट पीना चाहिए जिसके फलस्वरूप एक्जिमा रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगता
है।
- प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सूत्रनेति, कुंजल तथा जलनेति करना भी
ज्यादा लाभदायक है। इन क्रियाओं को करने के फलस्वरूप एक्जिमा रोग
कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
- रोगी
व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह के समय में उपचार करने के
साथ-साथ हलासन, मत्स्यासन, धनुरासन, मण्डूकासन, पश्चिमोत्तानासन तथा
जानुशीर्षसन क्रिया करनी चाहिए। इससे उसका एक्जिमा रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
- एक्जिमा रोग को ठीक करने के लिए नाड़ी शोधन, भस्त्रिका, प्राणायाम क्रिया करना भी लाभदायक है। लेकिन इस क्रिया को करने के साथ-साथ रोगी
व्यक्ति को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार
भी करना चाहिए तभी एक्जिमा रोग पूरी
तरह से ठीक हो सकता है।
- एक्जिमा रोग से पीड़ित रोगी को प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज
कराने के साथ-साथ कुछ खाने पीने की चीजों जैसे- चाय, कॉफी तथा उत्तेजक पदार्थ का
परहेज भी करना चाहिए तभी यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
- एक्जिमा रोग को ठीक करने के लिए हरे रंग की बोतल के सर्यूतप्त
नारियल के तेल से पूरे शरीर की मालिश करनी चाहिए और धूप में बैठकर या लेटकर
शरीर की सिंकाई करनी चाहिए। इससे एक्जिमा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता
है।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को आसमानी
रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 28 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन कम से कम
8 बार पीना चाहिए तथा रोगग्रस्त
भाग पर हरे रंग का प्रकाश कम से कम 25 मिनट तक डालना चाहिए। इस प्रकार से
कुछ दिनों तक उपचार करने से एक्जिमा रोग
कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
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