Monday 11 February 2013

त्वचा के रोग(Skin Disease)


त्वचा के रोग(Skin Disease)



गर्मी (त्वचा पर लालिमा व जलन)

 

नीम के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस पीने से शरीर की गर्मी दूर होती है।

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खुजली (Eczema)

पहला प्रयोगः आश्रम में उपलब्ध लालबूटी में करंज या नीम का तेल मिलाकर मालिश करने से खुजली में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः पवार (चक्रमर्द) के बीज के चूर्ण में नींबू का रस मिलाकर उसे खुजली वाले स्थान पर लेप करें। पानी के साथ यह चूर्ण सुबह, दोपहर व शाम को आधा तोला मात्रा में खायें तथा मरिच्यादि तेल की मालिश करें। नीम के काढ़े से स्नान करें। एवं आरोग्यवर्धिनीवटी नं. 1 की दो-दो गोली पानी के साथ लेवें।
सिर में फुन्सी एवं खुजलीः सिर पर नींबू का रस और सरसों का तेल समभाग में मिलाकर लगाने से और बाद में दही रगड़कर धोने से कुछ ही दिनों में सिर का दारुण रोग मिटता है। इस रोग में सिर में फुंसियाँ एवं खुजली होती है।

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घमौरियाँ

पहला प्रयोगः नींबू का रस लगाने से अथवा आम की गुठली के चूर्ण को पानी में मिलाकर उसे शरीर पर लगाकर स्नान करने से घमौरियाँ मिटती हैं।
दूसरा प्रयोगः ग्रीष्म ऋतु में प्रायः पीठ के ऊपर घमौरियाँ (छोटी-छोटी फुन्सियाँ) हो जाती हैं। 5 ग्राम सोंफ कूटकर पानी से भरे बर्तन में डाल दें व प्रातः इसी पानी से स्नान करे व सोंफ को पानी में पीसकर लेप बनाकर पीठ पर लगाने से घमौरियाँ शीघ्र ही ठीक होती हैं।
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शीतपित्त (Urticaria)

पहला प्रयोगः सरसों के तेल की मालिश करके गर्म पानी से नहाने से लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः काली मिर्च का चूर्ण घी के साथ चाटने से एवं घी में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर लेप करने से लाल चकत्ते (शीतपित्त) ठीक हो जाते हैं।
शीतपित्त में वायु की प्रधानता पर 1-2 ग्राम अजवाइन व गुड़, पित्त की प्रधानता पर 1 से 2 ग्राम हल्दी व गुड़ एवं कफ की प्रधानता पर अदरक का 2 से 10 मि.ली. रस व गुड़ सुबह-शाम लेने से राहत मिलेगी।

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खाज (Pruritis)

पहला प्रयोगः आँवले के 2 ग्राम चूर्ण को 1 लीटर पानी में भिगोकर उसका पानी लगाने से तथा पूरे दिन वही पानी पीने से खाज में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः सफेद ऊन की राख को गाय के घी में मिलाकर खाज पर लगाने से लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः पुराने खाज (विचिर्चिका) में डामर का लेप उत्तम दवा है।
डामर लगाकर पट्टी बाँधकर चार दिन के बाद खोलकर पुनः पट्टी बाँधें। ऐसी तीन पट्टियाँ बाँधें। चौथी पट्टी बाँधने के बाद एक सप्ताह बाद पट्टी खोलें तो खाज पूर्णतः मिट जायेगी।

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दाद (Ringworm)

पहला प्रयोगः पवार (चक्रमर्द) के बीज के चूर्ण में दही का पानी अथवा नींबू का रस मिलाकर दाद पर लेप करने से तीन-चार दिन में ही दाद मिट जाती है।
दूसरा प्रयोगः नींबू के रस में इमली की गुठली घिसकर लगाने से खाज व दाद में लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः दाद-खाज पर पुदीने का रस लगाने से लाभ होता है।
चौथा प्रयोगः तुलसी की पत्तियों को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद-खाज मिट जाती है।

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रक्तविकार

पहला प्रयोगः दो तोला काली द्राक्ष (मुनक्के) को 20 तोला पानी में रात्रि को भिगोकर सुबह उसे मसलकर 1 से 5 ग्राम त्रिफला के साथ पीने से कब्जियत, रक्तविकार, पित्त के दोष आदि मिटकर काया कंचन जैसी हो जाती है।
दूसरा प्रयोगः बड़ के 5 से 25 ग्राम कोमल अंकुरों को पीसकर उसमें 50 से 200 मि.ली. बकरी का दूध और उतना ही पानी मिलाकर दूध बाकी रहे तब तक उबालकर, छानकर पीने से रक्तविकार मिटता है।
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शीतला (चेचक)

पहला प्रयोगः चेचक में जंगल के कण्डे की राख लगाने से एवं उपवास करने से आराम मिलता है।
दूसरा प्रयोगः गूलर की जड़ का 5 से 20 मि.ली रस 2 से 5 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर खाने से बच्चों के खसरे में आराम मिलता है।
तीसरा प्रयोगः इमली के बीज एवं हल्दी का समान मात्रा में चूर्ण लेकर 3 से 4 रत्तीभार (करीब 500 मिलिग्राम) एक बार रोज ठण्डे पानी के साथ देने से बच्चों को चेचक नहीं निकलता।
चौथा प्रयोगः करेले के पत्तों का रस व हल्दी मिलाकर पीने से चेचक के रोग में फायदा होता है।

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1 comment:

  1. dear sir

    meri Skin me choti choti gaanthe hain kai jagho pe uske liye kripya kuch bataye. hath pairo me or sholdur etc me

    please suggest something

    sachin

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