Friday 1 February 2013
दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन के नियम
प्रत्येक
मनुष्य दीर्घ,
स्वस्थ और
सुखी जीवन चाहता
है। यदि
स्वस्थ और
दीर्घजीवी
बनना हो तो
कुछ नियमों को
अवश्य समझ
लेना चाहिए।
आसन-प्राणायाम,
जप-ध्यान,
संयम-सदाचार
आदि से मनुष्य
दीर्घजीवी
होता है।
मोटे एवं
सूती वस्त्र
ही पहनें।
सिंथेटिक वस्त्र
स्वास्थ्य के
लिए हितकर
नहीं हैं।
विवाह तो
करें किंतु
संयम-नियम से
रहें, ब्रह्मचर्य
का पालन करें।
आज जो
कार्य करते
हैं, सप्ताह
में कम-से-कम
एक दिन उससे
मुक्त हो
जाइये।
मनोवैज्ञानिक
कहते हैं कि
जो आदमी सदा
एक जैसा काम
करता रहता है
उसको थकान और बुढ़ापा
जल्दी आ जाता
है।
चाय-कॉफी,
शराब-कबाब,
धूम्रपान
बिल्कुल
त्याग दें।
पानमसाले की
मुसीबत से भी
सदैव बचें। यह
धातु को क्षीण
व रक्त को
दूषित करके
कैसंर को जन्म
देता है। अतः
इसका त्याग
करें।
लघुशंका
करने के तुरंत
बाद पानी नहीं
पीना चाहिए, न
ही पानी पीने
के तुरंत बाद
लघुशंका जाना
चाहिए।
लघुशंका करने
की इच्छा हुई
हो तब पानी
पीना, भोजन
करना, मैथुन
करना आदि
हितकारी नहीं
है। क्योंकि
ऐसा करने से
भिन्न-भिन्न
प्रकार के
मूत्ररोग हो
जाते हैं. ऐसा
वेदों में
स्पष्ट बताया गया
है।
मल-मूत्र
का वेग (हाजत)
नहीं रोकना
चाहिए, इससे स्वास्थ्य
पर बुरा
प्रभाव पड़ता
है व बीमार भी
पड़ सकते हैं।
अतः कुदरती
हाजत
यथाशीघ्र पूरी
कर लेनी
चाहिए।
प्रातः
ब्रह्ममुहूर्त
में उठ जाना,
सुबह-शाम खुली
हवा में टहलना
उत्तम
स्वास्थ्य की
कुंजी है।
दीर्घायु
व स्वस्थ जीवन
के लिए प्रातः
कम से कम 5 मिनट
तक लगातार तेज
दौड़ना या
चलना तथा कम से
कम 15 मिनट
नियमित
योगासन करने
चाहिए।
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