सावधानी :-
आजकल देश विदेश में कई जगहों पर मरीज को जरा-सा रोग होने पर भी लम्बी जाँच पड़ताल और अकारण ऑपरेशन करके व लम्बे बिल बनाकर गुमराह करके लूटा जाता है। जिससे समाज की कमर ही टूट गयी है। वैद्यक क्षेत्र से सम्बन्धित इन लोगों के कमीशन खाने के लोभ के कारण मरीज तन, मन और धन से भी पीड़ित हो रहे हैं। कई मरीज बापूजी के पास रोते-बिलखते आते हैं कि 'लाखों रुपये लुट गये, दुबारा-तिबारा ऑपरेशन करवाया, फिर भी कुछ फायदा नहीं हुआ। स्वास्थ्य सदा के लिए लड़खड़ा गया। बापूजी ! अब.....'
पूज्य बापू जी व्यथित हृदय से समाज की दुर्दशा सुनी और इस पर काबू पाने के लिए आश्रम द्वारा कई चल चिकित्सालय एवं आयुर्वैदिक चिकित्सालय खोल दिये। आश्रम द्वारा औषधियों का कहीं निःशुल्क तो कहीं नाममात्र दरों पर वितरण किया जाने लगा। परंतु इतने से ही संत हृदय कहाँ मानता है ? स्वास्थ्य का अनुपम अमृत घर-घर तक पहुँचे, इस उद्देश्य से लोकसंत पूज्य बापू जी ने आरोग्य के अनेकों सरल उपाय अपने सत्संग-प्रवचनों में समय-समय पर बताये हैं। जिन्हें आश्रम द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं 'ऋषि-प्रसाद' व 'दरवेश-दर्शन' तथा समाचार पत्र 'लोक कल्याण सेतु' में समय-समय पर प्रकाशित किया गया है। उनका लाभ लाखों करोड़ों भारतवासी और विदेश के लोग उठाते रहे हैं।
बहुत ज्ञान वर्धक है आपकी यह रचना है, मैं स्वास्थ्य से संबंधित कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो यहां पर click Health knowledge in hindi करें और इसे अधिक से अधिक लोग के पास share करें ताकि यह रचना अधिक से अधिक लोग पढ़ सकें और लाभ प्राप्त कर सके।
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