अंकुरित अनाज और पौष्टिक आहार खायें
अधिकांश लोग अपने आहार पर ध्यान नहीं देते हैं। भोजन में सिर्फ अनाज की अधिकता होती है। फल तथा अंकुरित
अनाज की मात्रा नहीं के बराबर होती है। हमें स्वस्थ रहने के लिये भोजन करना, तो जरूरी है ही पर भोजन की
गुणवत्ता पर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी
है।
आजकल अधिकांश लोग कुपोषण के शिकार हो जाते हैं, जिससे शरीर में खून की कमी हो जाती है। कुछ लोग सोचते हैं कि
हम महंगा फल, सब्जी, मेवा नहीं खा सकते, शायद इसलिये हम बीमार होते हैं। पर
इसकी जगह हम जो मोटा अनाज खा रहे हैं, उस पर ही अगर ध्यान दें कि उसे कैसे उचित तरीके से
खायें। महिलायें अपने परिवार पर ज्यादा ध्यान देने के कारण खुद पर
ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती हैं, जबकि उनके
लिए भी पौष्टिक आहार जरूरी है और इसके लिये ऐसा कोई स्पेशल नहीं बनाना है। महंगी चीजें नहीं
लानी है। बस उसी अनाज, सब्जी को सही तरीके से खायें और परिवार में भी सबको दें। खासतौर पर
गर्भावस्था में दोगुनी या अच्छे स्तर के पौष्टिक आहार लेने की जरूरत होती है
तभी आप अपनी व होने वाले बच्चों की
जरूरत पूरी कर सकती हैं। आजकल गांव में खून की कमी की शिकायत बढ़ती जा रही है। पोषक स्तर गिरता
जा रहा है।
सामान्यतः आहार में तीन तरह के खाद्य पदार्थ होते हैं
:-
- - पहला है कार्बोहाइड्रेट और
वसा युक्त पदार्थ जो शरीर को उर्जा प्रदान करते हैं जैसे- अनाज, कंदमूल, फल, मेवा गुड़ तेल आदि।
- -दूसरे हैं प्रोटीन युक्त
पदार्थ जो शरीर को बनाते हैं तथा उनकी क्षतिपूर्ती करते हैं जैसे- दूध, फलीदार अनाज, दालें, गिरीवाले फल, सोयाबीन आदि।
- -तीसरे हैं विटामिन एवं
खनिजयुक्त पदार्थ जो शरीर की रक्षा करते हैं जैसे - हरी सब्जियां, दूध, पनीर, घी, मक्खन, गाजर, दालें फलों का रस अंकुरित अनाज आदि।
हम दो तरह से भोजन की पौष्टिकता को बढ़ा सकते हैं। पहला भोजन को मिश्रित पद्धति से और दूसरा अंकुरित पद्धति
से। चोकर सहित रोटी बनायें। उसी आटे में पत्तेदार सब्जियाँ मिलाकर, आटा, घी, गुड़
मिलाकर। मूंगफल्लीदाने, गुड मिलाकर, लड्डू बनाकर। इस प्रकार हम
कैल्शियम, विटामिन ए और बी के अलावा कैलोरिज़ अच्छी मात्रा में ले सकते
हैं। इसी तरह तमाम सब्जियों को मिलाकर सलाद एवं फ्रूट सलाद बना सकते हैं, जो एक साथ कई फायदे देता है।
इन चीजों को आप घर के आसपास अपने बगीचे में आसानी से उगा सकते है तथा पौष्टिक आहार आसानी से प्राप्त कर
सकते हैं तथा उन्हें अपने आहार में सम्मिलित कर सकते हैं। बस थोड़ी सा शिक्षित होने की
जरूरत है कि इसके सेवन से रोगों से
लड़ने की क्षमता बढ़ती है। जो लोग मोटा अनाज खाते हैं वे उन्हें अंकुरित कर खायें। ये पोषक
एवं जीवंत आहार माना जाता है ये तुरंत शरीर को ताकत व उर्जा देता है। अनेक बीमारियों से
हमें बचाता है।
इसमें तीन गुण पाये जाते हैं :-
(1) इससे रक्त का शुद्धिकरण होता है।
(2) पोषक तत्वों का स्त्रोत है।
(3) प्राकृतिक पौष्टिक आहार है।
अंकुरित भोजन के फायदे :-
- यह
सस्ता व बनाने में आसान है।
- चना, मूंग, गेहूं, सोयाबीन, मेथी अंकुरित किया जा सकता
है।
- ये
आहार आसानी से हमारा शरीर ग्रहण करता है।
- इसमें
विटामिन तथा अन्य पोषक तत्वों की क्षमता बढ़ जाती है।
- स्वादिष्ट
बनाने के लिये अनाज को अंकुरित कर उसमें खीरा, ककडी,टमाटर, प्याज, धनिया, मिर्च, नींबू, तथा नमक मिलायें साथ ही काली मिर्च भी डालें।
- इन्हे
खाने के बाद ये आसानी से पचाकर पुनः भूख लगने की क्षमता को बढ़ा देता है।
- इसे हम
अपने सुबह के नाश्ते में शामिल कर सकते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि हम शहर में इन कैसे उगायें, तो निराश होने की जरूरत नहीं है आप शहर में भी अपने बगीचे
में टेरेस के ऊपर गमलों में हरी सब्जियाँ उगा सकते हैं। ताजी हरी सब्जियों का जूस
निकाल कर तुरंत पी सकते हैं। मगर हम
लोग सुबह ब्रेड, मक्खन, बाजारी जूस का नाश्ता करते हैं जो प्राकृतिक नहीं है। महंगी फल
सब्जियों की तुलना में पत्तेदार हरी सब्जियों में विटामिन, लौह तत्व अधिक होते है जो शरीर को
विकसित एवं स्वथ्य बनाये रखने में
मदद करता है। इसके पीछे कारण यह है कि पौष्टिक तत्वों का स्त्रोत हैं, हरी पत्तेदार सब्जियों में भरपूर लौह (कैरोटीन) की
मात्रा होती है, जो आखों की सुरक्षा के साथ-साथ बच्चों
के शारीरिक विकास में सहायक है। गुड, चावल, चिवडा, शहद ,साबुदाना, शक्करकंद, आलू, बेल, केला खजूर, गन्ने का रस, जौ, बाजरा, गेहूं आदि में कार्बोहाइट्रेड की मात्रा अधिक पाई
जाती है। पालक, हरीमेथी, चौलाई, बथुआ, सरसों का साग, चने का साग, फूलगोभी, पत्तागोभी इसमें सर्वोत्तम पौष्टिक तत्व
मिलते हैं। जैसे चौलाई, बथुआ में कैलशियम, विटामिन, ए, बी.एंव लौह तत्व पाये जाते हैं। कई इलाकों में महुआ, सांवा, पाया जाता है जिसमें कैलशियम, फसफोरस, लौह, कार्बोहाइट्रेड, विटामिन सी पाया जाता है जो गर्भावस्था में महिलाओं की जरूरी है।
ग्रामीण इलाकों में यह सब आसानी
से मिल जाता है। इन चीजों को हम अपने दैनिक आहार में शामिल कर महिलाओं में खून की कमी को दूर कर
सकते हैं। हिमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाई जा सकती है। अजन्मे बच्चों में शारीरिक व मानसिक
दुर्बलता व अविकसितता के दूर किया जा
सकता है।
अंकुरण की विधि
- सर्वप्रथम
अंकुरित करने वाले बीजों को कई बार अच्छी तरह पानी से धोकर एक शीशे के जार में भर लें
शीशे के जार में बीजों की सतह से लगभग चार गुना पानी भरकर भीगने दें अगले दिन
प्रातःकाल बीजों को जार से निकाल कर एक बार पुनः धोकर साफ सूती कपडे में
बांधकर उपयुक्त स्थान पर रखें |
- गर्मियों
में कपडे के ऊपर दिन में कई बार ताजा पानी छिडकें ताकि इसमें नमी बनी रहे |
- गर्मियों
में सामान्यतः 24 घंटे में बीज अंकुरित हो उठते
हैं सर्दियों में अंकुरित होने में कुछ
अधिक समय लग सकता है | अंकुरित बीजों को खाने से पूर्व एक बार अच्छी तरह से धो
लें तत्पश्चात इसमें स्वादानुसार हरी धनियाँ, हरी मिर्च, टमाटर, खीरा, ककड़ी काटकर मिला सकते हैं | यथासंभव इसमें नमक न मिलाना ही हितकर है |
ध्यान दें -
- अंकुरित
करने से पूर्व बीजों से मिटटी, कंकड़ पुराने रोगग्रस्त बीज निकलकर साफ कर लें | प्रातः नाश्ते के रूप में
अंकुरित अन्न का प्रयोग करें | प्रारंभ में कम मात्रा में लेकर धीरे-धीरे इनकी
मात्रा बढ़ाएं |
- अंकुरित
अन्न अच्छी तरह चबाकर खाएं |
- नियमित
रूप से इसका प्रयोग करें |
- वृद्धजन, जो चबाने में असमर्थ हैं वे
अंकुरित बीजों को पीसकर इसका पेस्ट बनाकर खा सकते हैं | ध्यान रहे पेस्ट को भी मुख
में कुछ देर रखकर चबाएं ताकि इसमें लार अच्छी तरह से मिल जाय |
लाभ-
- अंकुरित
आहार शरीर को नवजीवन देने वाला अमृतमयी आहार है |
- अंकुरित
अन्न विटामिन तथा खनिज पदार्थों को प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट स्रोत है |
- अंकुरित
आहार सप्राण होने के कारण शरीर आसानी से आत्मसात कर लेता है जिस से शरीर
उर्जावान बनता है |
- बीजों
के अंकुरित होने के पश्चात् इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल
जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक
गुणों में भी वृद्धि हो जाती है |

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