गुस्से पर कैसे नियंत्रण पायें
* गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता
को अर्घ्य देना चाहिये कि माँ मै भी सहनशील बनूँ ....बात बात में गुस्सा न करूँ |
* जिनको गुस्सा बहुत आता हो , बात- बात में चिड जाते हो ... वे
सोमवार कों एक टाइम रोटी खाएं और एक टाइम उपवास करें ...और रात कों चन्द्रमा कों
अर्घ दें कि मेरा मन शांत रहे ... मुझे गुस्से पर काबू पाने की शक्ति दें ।
* गुस्सा ज्यादा आता हो तो पलाश के छोटे छोटे पत्तों
की सब्जी खाने से गुस्सा, क्रोध और पित्त शांत होता है ।
* खट्टी चीज़ खाने से आँखें जलती हैं और स्वभाव
बिगड़ता है, गुस्सा आता है, अकारण जलन होती है
* रविवार को अदरक, टमाटर, लाल रंग के कपड़े, गुस्सा बढ़ाते हैं |
* मन में गुस्सा आये तो हरि ॐ शांति
हरि ॐ शांति बोलते रहो ।
* मिर्च कम खाया करो ।
* खाना चबा-चबा कर खाया करो तो
गुस्सा आना कम होगा ।
* चाय-कौफी से परहेज करे और उसकी जगह बल, बुद्धि एवं पाचन वर्धक “अच्युताय ओजस्वी पेय
“ का प्रयोग करे ।
* और जिन को गुस्सा ज्यादा आता हो वो
अपने पास एक आईना रखें गुस्सा आते ही आईने में देखें, अपने आप गुस्सा कम होने लगेगा
लेकिन खुद ही को गुस्सा आये तो देखना, औरों को दिखाओगे तो मुसीबत में पड़
जाओगे
गुस्से का उपयोग
* गुस्सा आये तो गुस्से को देखो, गुस्से में तपो मत, गुस्से का उपयोग करो, सामने वाले का अहित ना करो ।
* बड़ों पर गुस्सा आये तो उनके चरणों
में मत्था टेक दो.........कि माफ़ कर दो हमें आप पर गुस्सा आ रहा है। ऐसा मन में
भी कर सकते हैं। बड़ों के आगे अहम् पिघला दो । अथवा तो ईश्वर के चरणों में मत्था
टेक दो कि हमें बड़ों पर गुस्सा आ रहा है.......आप ही संभालो। अहम् में ही गुस्सा
आता है ।
* एक घूंट पानी की मुंह में डाल दो ।
धीरे-धीरे पानी को नीचे उतरने दो । गुस्से की गर्मी, पित्त शांत हो जायेगा ।
* गुस्सा आया तो हाथ की उँगलियों के
नाखून हाथ की गद्दी पर लगे, ऐसे मुट्ठी बंद कर लो । गुस्सा आया है तो ज्ञान
स्वरुप ईश्वर की सत्ता से जान रहा हूँ, ऐसा विचार करते हुए, गुस्से का उपयोग करें ।
कोई गुस्सा करे तो –
* जो आपके ऊपर क्रोध करता है ... आप उस समय जीभ तालू
में लगा दो, उस पर क्रोध न करो | ये क्रोध उसका आवेश है | बाकी गहराई में तो तू ही है, तू ही है, तू ही है .... शत्रु पानी – पानी
हो जायेगा |
* शत्रु से तुम भिड़ोगे तो हारे तो भी हारे.. जीते तो भी
अहंकार तुमको हरा देगा | और शत्रु तो हार के गया अभी दब गया
लेकिन बाद में कभी मौका मिला तो तुमको पकड़ लेगा | और शत्रु में ये ईश्वरीय सिद्धांत देखा तो शत्रु आपका मित्र हो जायेगा | नौकर से पगार दे के उससे काम नहीं
ले सकते उतना शत्रु को मित्र बनाओ
तो आपको काम लेना नहीं पड़ेगा वो आपका काम करने लगेगा | जब भी कोई शत्रुता करता है तुमको कुछ
सुनाता है, क्रोध करता है उस समय जीभ तालू में लगा दो | शत्रु के रूप में तुम परम मित्र हो
| क्रोध करके बाहर की लीला करता है लेकिन है तो नारायण .... नारायण .... हरि ...
हरि.... ॐ... ॐ ..उसपर क्रोध न करों |
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