नमक का ये आसान प्रयोग कर देगा हर तरह के
बुखार की छुट्टी
बदलते मौसम में बुखार की चपेट में आना एक
आम बात है। कभी वायरल फीवर के नाम पर तो कभी मलेरिया जैसे नामों से यह
सभी को अपनी चपेट में ले लेता है। फिर बड़ा आदमी हो या कोई बच्चा इस
बीमारी की चपेट में आकर कई परेशानियों से घिर जाते हैं। कई बुखार तो ऐसे हैं जो
बहुत दिनों तक आदमी को अपनी चपेट में रखकर उसे पूरी तरह से कमजोर बना
देता है। पर घबराइए नहीं सभी तरह के बुखार की एक अचूक दवा है भुना नमक। इसके
प्रयोग किसी भी तरह के बुखार को उतार देता है।
भुना नमक बनाने की विधि- खाने मे
इस्तेमाल आने वाला सादा नमक लेकर उसे तवे पर डालकर धीमी आंच पर सेकें। जब इसका
कलर कॉफी जैसा काला भूरा हो जाए तो उतार कर ठण्डा करें। ठण्डा हो जाने पर एक
शीशी में भरकर रखें।जब आपको ये महसूस होने लगे की आपको बुखार आ सकता है
तो बुखार आने से पहले एक चाय का चम्मच एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर ले लें।
जब आपका बुखार उतर जाए तो एक चम्मच नमक एक बार फिर से लें। ऐसा करने से
आपको बुखार कभी पलट कर नहीं आएगा।
विशेष :-
- हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों को यह विधि
नहीं अपनानी चाहिए।
- यह प्रयोग एक दम खाली पेट करना चाहिए इसके बाद कुछ खाना नहीं चाहिए और
ध्यान रखें कि इस दौरान रोगी को ठण्ड न लगे।
- अगर रोगी को प्यास ज्यादा लगे तो उसे पानी को गर्म कर उसे ठण्डा करके दें।
- इस नुस्खे को अजमाने के बाद रोगी को करीब 48 घंटे तक कुछ खाने को न दें। और उसके
बाद उसे दूध चाय या हल्का दलिया बनाकर खिलाऐं।
सादा बुखार
सादे बुखार में उपवास अत्यधिक
लाभदायक है। उपवास के बाद पहले थोड़े दिन मूँग लें फिर सामान्य खुराक शुरु करें।
ऋषि चरक ने लिखा है कि बुखार में दूध पीना सर्प के विष के समान है अतः दूध का सेवन
न करें।
पहला प्रयोगः सोंठ, तुलसी, गुड़ एवं काली मिर्च का 50 मि.ली
काढ़ा बनाकर उसमें आधा या 1 नींबू निचोड़कर पीने से सादा बुखार मिटता है।
दूसरा प्रयोगः शरीर में हल्का बुखार रहने पर, थर्मामीटर द्वारा बुखार न बताने पर
थकान, अरुचि एवं आलस रहने पर संशमनी की दो-दो गोली सुबह और
रात्रि में लें। 7-8 कड़वे नीम के पत्ते तथा 10-12 तुलसी के पत्ते खाने से अथवा
पुदीना एवं तुलसी के पत्तों के एक तोला रस में 3 ग्राम शक्कर डालकर पीने से हल्के
बुखार में खूब लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः कटुकी, चिरायता एवं इन्द्रजौ प्रत्येक की
2 से 5 ग्राम को 100 से 400 मि.ली. पानी में उबालकर 10 से 50 मि.ली. कर दें। यह
काढ़ा बुखार की रामबाण दवा है।
चौथा प्रयोगः बुखार में करेले की सब्जी लाभकारी
है।
पाँचवाँ प्रयोगः मौठ या मौठ की दाल का सूप बनाकर
पीने से बुखार मिटता है। उस सूप में हरी धनिया तथा मिश्री डालने से मुँह अथवा मल
द्वारा निकलता खून बन्द हो जाता है।
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