Tuesday, 1 January 2013
ताड़ासन का चमत्कारिक प्रयोग
ताड़ासन
करने से प्राण
ऊपर के
केन्द्रों
में आ जाते
हैं जिससे
पुरुषों के
वीर्यस्राव
एवं स्त्रियों
के प्रदररोग
की तकलीफ में
तुरंत ही लाभ
होता है।
वीर्यस्राव
क्यों होता है
? जब पेट
में दबाव (Intro-abdominal
pressure)
बढ़ता है तब
वीर्यस्राव
होता है। इस
दबाव(प्रेशर)
के बढ़ने के
कारण इस
प्रकार है-
ठूँस-ठूँसकर
खाना, बार-बार
खाना,
कब्जियत, गैस होने
पर भी वायु
करे ऐसी आलू,
गवारफली,
भिंडी, तली
हुई चीजों का
अधिक सेवन एवं
अधिक भोजन,
लैंगिक (सैक्स
सम्बन्धी)
विचार, चलचित्र
देखने एवं
पत्रिकाएँ
पढ़ने से।
इस दबाव के
बढ़ने से
प्राण नीचे के
केन्द्रों मे,
नाभि से नीचे
मूलाधार
केन्द्र में आ
जाते हैं
जिसकी वजह से
वीर्यस्राव
हो जाता है।
इस प्रकार के
दबार के कारण
हर्निया की
बीमारी भी हो जाती
है।
ताड़ासन
की विधिः
सर्वप्रथम
एकदम सीधे
खड़े होकर हाथ
ऊँचे रखें।
फिर पैरों के
पंजों के बल
पर खड़े होकर
रहें एवं
दृष्टि ऊपर की
ओर रखें। ऐसा
दिन में तीन बार
(सुबह, दोपहर,
शाम) 5-10 मिनट तक
करें।
यदि पैरों
के पंजों पर
खड़े न हो
सकें तो जैसे अनुकूल
हो वैसे खड़े
रहकर भी यह
आसन किया जा
सकता है।
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