Wednesday 23 January 2013
गुड़
अमेरिका
में हाल ही
में हुए एक
शोध से पता
चला है कि जो
व्यक्ति अधिक
मात्रा में
चीनी का सेवन
करते हैं,
उन्हें बड़ी
आँत का कैंसर
होने की संभावना
अधिक रहती है।
कैंसर ही नहीं
अपितु चीनी
अन्य कई रोगों
का कारण भी
है। (अधिक
जानकारी के
लिए पढ़े-
आरोग्यनिधि
भाग-1,
शक्कर-नमकः
कितने खतरनाक!) अतः
इसके सेवन पर
नियंत्रण
बहुत आवश्यक
है। चीनी के
स्थान पर
रसायनों के
मिश्रण से
रहित शुद्ध
गुड़ का उपयोग
स्वास्थ्य के
लिए अच्छा है।
गन्ने के
रस से चीनी
बनाने में
कैल्शियम, लौह
तत्त्व, गंधक,
पोटेशियम आदि
फासफोरस आदि
महत्वपूर्ण
तत्त्व नष्ट
हो जाते हैं
जबकि गुड़ में
ये तत्त्व
मौजूद रहते
हैं। गुड़ में
प्रोटीन 8 % , वसा 0.9 % ,
कैल्शियम 0.08 % ,
फास्फोरस 0.04 % ,
कार्बोहाईड्रेट
65 % होता है
और विटामिन ए 280
यूनिट प्रति 900
ग्राम होता है।
पांडुरोग
और अधिक
रक्तस्राव के
कारण रक्त में
हीमोग्लोबिन
कम हो जाता है,
तब लौह तत्त्व
की पूर्ति के
लिए पालक का
प्रयोग किया
जाता है। पालक
में 1.3% , केले
में 0.4% एम.जी.
लौह तत्त्व
होता है जबकि
गुड़ में 11.4% एम.जी
लौह तत्त्व
पाया जाता है।
महिलाओं
में आमतौर पर
लौह तत्त्व की
कमी पायी जाती
है। यह मासिक
धर्म की
गड़बड़ी के
कारण होता है।
भूने हुए चने
और गुड़ खाने
से इस कमी की पूर्ति
की जा सकती
है।
गुनगुने
पानी में गुड़
को घोलकर खाली
पेट लेने से
विशेष लाभ
होता है। यह
दोपहर को भी
भोजन के दो
घंटे बाद लिया
जा सकता है।
गुड़
चिक्की के रूप
में भी काफी
प्रचलित है। छिलके
वाली मूँग की
पतली दाल में
गुड़ मिलाकर खाया
जा सकता है।
गुड़ में
कैल्शियम
होने के कारण
बच्चों की हड्डी
की कमजोरी एवं
दंतक्षय में
यह बहुत लाभकारी
है। बढ़ते
बच्चों के लिए
यह अमृततुल्य
है।
गुड़ में
विटामिन बी भी
पर्याप्त
मात्रा में होता
है। इसमें
पैन्टोथिनिक
एसिड,
इनासिटोल सर्वोपरि
है जो कि
मानसिक
स्वास्थ्य के
लिए हितकारी
है। आयुर्वेद
में तो एक जगह
लिखा है कि
मट्ठा, मक्खन
और गुड़ खाने
वाले को
बुढ़ापा कष्ट
नहीं देता।
हृदयरोगों
में पोटेशियम
लाभकारी है जो
गुड़ में
मौजूद होता
है। यह
पोटेशियम
केले और आलू में
भी पाया जाता
है।
अत्यधिक
चीनी
नुकसानकारक
है। इसलिए
गुड़, पिण्ड
खजूर, किशमिश
आदि में स्थित
प्राकृतिक शर्कराएँ
फायदेमंद
हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment