Friday, 1 February 2013
अंग्रेजी दवाइयों से सावधान !
सावधान ! आप जो
जहरीली
अंग्रेजी
दवाइयाँ खा
रहे हैं उनके
परिणाम का भी
जरा विचार कर
लें।
वर्ल्ड
हेल्थ
आर्गेनाइजेशन
ने भारत सरकार
को 72000 के करीब
दवाइयों के
नाम लिखकर उन
पर प्रतिबन्ध
लगाने का
अनुरोध किया
है। क्यों ?
क्योंकि ये
जहरीली
दवाइयाँ
दीर्घ काल तक
पेट में जाने
के बाद यकृत,
गुर्दे और
आँतों पर हानिकारक
असर करती हैं,
जिससे मनुष्य
के प्राण तक
जा सकते हैं।
कुछ वर्ष
पहले
न्यायाधीश
हाथी साहब की
अध्यक्षता
में यह जाँच
करने के लिए
एक कमीशन
बनाया गया था
कि इस देश में
कितनी
दवाइयाँ
जरूरी हैं और
कितनी बिन
जरूरी हैं
जिन्हें कि
विदेशी कम्पनियाँ
केवल मुनाफा
कमाने के लिए
ही बेच रही
हैं। फिर
उन्होंने
सरकार को जो
रिपोर्ट दी, उसमें
केवल 117
दवाइयाँ ही
जरूरी थीं और 8400
दवाइयाँ
बिल्कुल
बिनजरूरी
थीं। उन्हें
विदेशी कम्पनियाँ
भारत में
मुनाफा कमाने
के लिए ही बेच
रही थीं और
अपने ही देश
के कुछ डॉक्टर
लोभवश इस षडयंत्र
में सहयोग कर
रहे थे।
पैरासिटामोल
नामक दवाई,
जिसे लोग
बुखार को
तुरंत दूर
करने के लिए
या कम करने के
लिए प्रयोग कर
रहे हैं, वही
दवाई जापान
में पोलियो का
कारण घोषित
करके
प्रतिबन्धित
कर दी गयी है।
उसके बावजूद
भी प्रजा का
प्रतिनिधित्व
करनेवाली
सरकार प्रजा
का हित न
देखते हुए
शायद केवल अपना
ही हित देख
रही है।
सरकार कुछ
करे या न करे
लेकिन आपको
अगर पूर्ण रूप
से स्वस्थ
रहना है तो आप
इन जहरीली
दवाइयों का
प्रयोग बंद
करें और
करवायें।
भारतीय संस्कृति
ने हमें
आयुर्वेद के
द्वारा जो
निर्दोष
औषधियों की
भेंट की हैं
उन्हें
अपनाएँ।
साथ ही
आपको यह भी
ज्ञान होना
चाहिए कि
शक्ति की
दवाइयों के
रूप में आपको,
प्राणियों का
मांस, रक्त,
मछली आदि खिलाये
जा रहे हैं
जिसके कारण
आपका मन मलिन,
संकल्पशक्ति
कम हो जाती
है। जिससे
साधना में
बरकत नहीं
आती। इससे
आपका जीवन
खोखला हो जाता
है। एक
संशोधनकर्ता
ने बताया कि
ब्रुफेन नामक
दवा जो आप लोग
दर्द को शांत
करने के लिए
खा रहे हैं
उसकी केवल 1
मिलीग्राम
मात्रा दर्द
निवारण के लिए
पर्याप्त है,
फिर भी आपको 250
मिलीग्राम या
इससे दुगनी
मात्रा दी
जाती है। यह
अतिरिक्त
मात्रा आपके
यकृत और
गुर्दे को
बहुत हानि पहुँचाती
है। साथ में
आप साइड इफेक्टस
का शिकार होते
हैं वह अलग !
घाव भरने
के लिए
प्रतिजैविक
(एन्टीबायोटिक्स)
अंग्रेजी
दवाइयाँ लेने
की कोई जरूरत
नहीं है।
किसी भी
प्रकार का घाव
हुआ हो, टाँके
लगवाये हों या
न लगवाये हों,
शल्यक्रिया
(ऑपरेशन) का घव हो,
अंदरूनी घाव
हो या बाहरी
हो, घाव पका हो
या न पका हो
लेकिन आपको
प्रतिजैविक
लेकर जठरा, आँतों,
यकृत एवं
गुर्दों को
साइड इफेक्ट
द्वारा
बिगाड़ने की
कोई जरूरत
नहीं है वरन्
निम्नांकित
पद्धति का
अनुसरण करें-
घाव को साफ
करने के लिए
ताजे गोमूत्र
का उपयोग
करें। बाद में
घाव पर हल्दी
का लेप करें।
एक से तीन
दिन तक उपवास
रखें। ध्यान
रखें कि उपवास
के दौरान केवल
उबालकर ठंडा
किया हुआ या
गुनगुना गर्म
पानी ही पीना
है, अन्य कोई
भी वस्तु
खानी-पीनी नहीं
है। दूध भी
नहीं लेना है।
उपवास के
बाद जितने दिन
उपवास किया हो
उतने दिन केवल
मूँग को उबाल
कर जो पानी
बचता है वही
पानी पीना है।
मूँग का पानी
क्रमशः गाढ़ा
कर सकते हैं।
मूँग के
पानी के बाद
क्रमशः मूँग,
खिचड़ी, दाल-चावल,
रोटी-सब्जी इस
प्रकार
सामान्य
खुराक पर आ
जाना है।
कब्ज जैसा
हो तो रोज 1
चम्मच हरड़े
का चूर्ण सुबह
अथवा रात को
पानी के साथ
लें। जिनके
शरीर की
प्रकृति ऐसी
हो कि घाव
होने पर तुरंत
पक जाय,
उन्हें
त्रिफल गूगल नामक
3-3 गोली दिन में 3
बार पानी के
साथ लेनी चाहिए।
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