Tuesday, 19 February 2013
किसके आभूषण कहाँ पहनें ?
सोने के आभूषणें की प्रकृति गर्म है तथा चाँदी के गहनों की
प्रकृति शीतल है। यही कारण है कि सोने के गहने नाभि से ऊपर और चाँदी के गहने नाभि
के नीचे पहनने चाहिए। सोने के आभूषणों से उत्पन्न हुई बिजली पैरों में तथा चाँदी
के आभूषणों से उत्पन्न होने वाली ठंडक सिर में चली जायेगी क्योंकि सर्दी गर्मी को
खींच लिया करती है। इस तरह से सिर को ठंडा व पैरों को गर्म रखने के मूल्यवान
चिकित्सकीय नियम का पूर्ण पालन हो जायेगा। इसके विपरीत करने वालों को शारीरिक एवं
मानसिक बिमारीयाँ होती हैं।
जो स्त्रियाँ सोने के पतरे का खोल बनवाकर भीतर चाँदी,
ताँबा या जस्ते की धातुएँ भरवाकर कड़े,
हंसली आदि आभूषण धारण करती हैं, वे
हकीकत में तो बहुत बड़ी त्रुटि करती हैं। वे सरे आम रोगों को एवं विकृतियों को
आमंत्रित करने का कार्य करती हैं।
सदैव टाँकारहित आभूषण पहनने चाहिए। यदि टाँका हो तो उसी धातु
का होना चाहिए जिससे गहना बना हो।
माँग में सिंदूर भरने से मस्तिष्क संबंधी क्रियाएँ नियंत्रित,
संतुलित तथा नियमित रहती हैं एवं मस्तिष्कीय विकार नष्ट हो जाते हैं।
शुक्राचार्य जी के अनुसार पुत्र की कामना वाली स्त्रियों को
हीरा नहीं पहनना चाहिए।
ऋतु के अनुसार टोपी और पगड़ी पहनना स्वास्थ्य-रक्षक है।
घुमावदार टोपियाँ अधिक उपयुक्त होती है।
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