Monday, 18 February 2013
अशुभ क्या है ?
बिल्ली
की धूलि शुभ प्रारब्ध का हरण करती है। (नारद
पुराणः पूर्व भागः 26.32)
कुत्ता
रखने वालों के लिए स्वर्गलोक में स्थान नहीं है। उनका पुण्य क्रोधवश नामक राक्षस हर लेते हैं। (महाभारत महाप्रयाण पर्वः 3.10)
'महाभारत' में
यह भी आया है कि 'घऱ
में टूटा-फूटा बर्तन, सामान
(फर्नीचर),
मुर्गा,
कुत्ता,
बिल्ली होना अच्छा नहीं है। ये शुभ गुणों को हरते हैं।
दूसरे
का अन्न,
दूसरे का वस्त्र, दूसरे
का धन, दूसरे
की शय्या,
दूसरे की गाड़ी, दूसरे
की स्त्री का सेवन और दूसरे के घर में वास –
ये इन्द्र के भी ऐश्वर्य को नष्ट कर देते हैं।
(शंखलिखित स्मृतिः 17)
जिस
तरह शरीर में जीवन न हो तो वह मुर्दा शरीर अशुभ माना जाता है। इसी तरह खाली कलश भी
अशुभ है। दूध, घी,
पानी अथवा अनाज से भरा हुआ कलश कल्याणकारी माना जाता है। भरा हुआ घड़ा मांगलिकता
का प्रतीक है।
वास्तुशास्त्र
के अनुसार घर की पश्चिम दिशा में पीपल का वृक्ष होना शुभ है। इसके विपरीत पूर्व
दिशा में होना विशेष अशुभ है।
आँवला,
बिल्व,
नारियल, तुलसी
और चमेली सभी दिशाओं में शुभ हैं। कुछ अन्य वृक्षों के लिए शुभ दिशाओं की सूचिः
जामुन
–
दक्षिण,
पूर्व, उत्तर
अनार
–
आग्नेय,
नैर्ऋत्य कोण
केला
–
तुलसी के साथ सभी दिशाओं में
चंदन
–
पश्चिम,
दक्षिण (पूर्व विशेष अशुभ)
बड़ -
पूर्व (पश्चिम विशेष अशुभ)
कनेर
–
पूर्व, उत्तर
(पश्चिम विशेष अशुभ)
नीम
–
वायव्य कोण (आग्नेय विशेष अशुभ)
घऱ
में बाँस, बेर,
पपीता, पलाश
और बबूल के वृक्ष सभी दिशाओं में अशुभ माने जाते हैं। आम पूर्व में,
सीताफल व गुलाब ईशान कोण में विशेष अशुभ हैं।
अशुभ
वस्तुएँ जैसे कि मांस,
दुर्घटना का दृश्य, मृतक
जीव-जन्तु दिखायी देने पर उसी
समय सूर्यनारायण के दर्शन कर लेने चाहिए।
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