Sunday 24 February 2013

इलायची के औषधीय प्रयोग


इलायची  के औषधीय प्रयोग 

इलायची औषधीय रूप से अति महत्त्वपूर्ण है | यह दो प्रकार की होती है – छोटी व बड़ी |

छोटी इलायची : यह सुंगधित, जठराग्निवर्धक, शीतल, मूत्रल, वातहर, उत्तेजक व पाचक होती है | इसका प्रयोग खाँसी, अजीर्ण, अतिसार, बवासीर, पेटदर्द, श्वास ( दमा ) तथा दाहयुक्त तकलीफों में किया जाता है


औषधीय प्रयोग –
  • - अधिक केले खाने से हुई बदहजमी एक इलायची खाने से दूर हो जाती है |
  • - धूप में जाते समय तथा यात्रा में जी मिचलाने पर एक इलायची मुँह में डाल दें |
  • - १ कप पानी में १ ग्राम इलायची चूर्ण डाल के ५ मिनट तक उबालें | इसे छानकर एक चम्मच शक्कर मिलायें | २ – २ चम्मच यह पानी २ – २ घंटे के अंतर से लेने से जी – मिचलाना, उबकाई आना, उलटी आदि में लाभ होता है |
  • - छिलके सहित छोटी इलायची तथा मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें | चुटकीभर चूर्ण को १ -१ घंटे के अंतर से चूसने से सूखी खाँसी में लाभ होता है | कफ पिघलकर निकल जाता है |
  • - रात को भिगोये २ बादाम सुबह छिलके उतारकर घिस लें | इसमें १ ग्राम इलायची चूर्ण, आधा ग्राम जावित्री चूर्ण, १ चम्मच मक्खन तथा आधा चम्मच मिश्री मिलाकर खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है |
  • - आधा से १ ग्राम इलायची चूर्ण का आँवले के रस या चूर्ण के साथ सेवन करने से दाह, पेशाब और हाथ-पैरों की जलन दूर होती है |
  • - आधा ग्राम इलायची दाने का चूर्ण और १-२ ग्राम पीपरामूल चूर्ण को घी के साथ रोज सुबह चाटने से ह्रदयरोग में लाभ होता है |
  • - छिलके सहित १ इलायची को आग में जलाकर राख कर लें | इस राख को शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है |
  • - १ ग्राम इलायची दाने का चूर्ण दूध के साथ लेने से पेशाब खुलकर आती है एवं मूत्रमार्ग की जलन शांत होती है |
सावधानी : रात को इलायची न खायें, इससे खट्टी उकारें आती है | इसके अधिक सेवन से गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है |




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