Monday 18 February 2013

सूतक में क्या करें, क्या न करें ?


सूतक में क्या करें, क्या न करें ?


जननाशौच (संतान-जन्म के समय लगने वाला अशौच-सूतक) के दौरान प्रसूतिका (माता) 40 दिन तक माला लेकर जप न करें एवं पिता 10 दिन तक।
मरणाशौच (मृत्यु के समय लगने वाला अशौच) में परिवार के सदस्य 13 दिन तक माला लेकर जप न करें।
जन्म एवं मरण दोनों ही अशौच में शुद्धि होने के पश्चात ही माला से जप कर सकते हैं किंतु निःस्वार्थ, भगवत्प्रीत्यर्थ मानसिक जप तो प्रत्येक अवस्था में किया जा सकता है और करना ही चाहिए।
रजस्वला स्त्री जब तक मासिक रजस्राव होता रहे तब तक माला जप न करे एवं मानसिक जप भी प्रणव (ॐ) के बिना करे।
जब तक मानसिक स्राव जारी हो, तब तक दीक्षा भी नहीं ली जा सकती। अगर अज्ञानतावश पाँचवें छठे दिन भी मासिक स्राव जारी रहने पर दीक्षा ले ली गयी हो अथवा संतदर्शन कर लिया हो या इसी प्रकार की और कोई गलती हो गयी हो तो उसके प्रायश्चित के 'ऋषि पंचमी' (गुरु पंचमी) का व्रत करना चाहिए।





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