Wednesday, 20 February 2013
शक्तिदायक-पुष्टिवर्धक प्रयोग
शक्तिदायक-पुष्टिवर्धक प्रयोग
1.जौ का पानी में भिगोकर, कूट
के, छिलकारहित कर उसे दूध में खीर की भाँति पकाकर सेवन
करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है और मोटापा कम होता है। 3 से 5
अंजीर को दूध में उबाल कर या अंजीर खाकर दूध पीने से शक्ति बढ़ती है।
2.रात्रि में एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर
उसमें दो किशमिश भिगो दें। सुबह पानी छानकर पी जायें एवं किशमिश चबाकर खा लें। यह
एक अदभुत शक्तिदायक प्रयोग है।
3.केले को सुबह खाने से उसकी कीमत ताँबे जैसी, दोपहर को खाने से चाँदी जैसी और शाम को खाने से सोने
जैसी होती है। शारीरिक श्रम न करने वालों को केला नहीं खाना चाहिए। केला सुबह खाली
पेट भी नहीं खाना चाहिए। भोजन के बाद दो केले खाने से पतला शरीर मोटा होने लगता
है।
दूध व चावल की खीरः यह सर्वप्रिय,
शीतल, पित्तशामक,
मेदवर्धक, शक्तिदायक,
वातपित्त, रक्तपित्त,
अग्निमांद्य व अरूचि का नाश करने वाला सात्त्विक आहार है। यह शरद ऋतु में विशेष
लाभकारी है।
विधिः प्रति व्यक्ति एक के हिसाब से काली मिर्च डालकर चावल
को पहले पका लें। फिर उसमें दूध,
मिश्री व डालनी हो तो इलायची डालकर एक उबाल आने पर उतार लें और ढक के रख दें। रात
को खीर बनानी हो तो काली मिर्च न डालें।
दीर्घायु व स्वस्थ जीवन के लिए...
1.प्रातः कम से कम 5 मिनट
तक लगातार तेज दौड़ना या चलना तथा कम से कम 15 मिनट
नियमित योगासन करने चाहिए।
2.सुबह-शाम हवा में टहलना स्वास्थ्य की कुंजी है।
3.महीने में एकाध बार रात्रि को सोने से पूर्व नमक एवं
सरसों का तेल मिला के, उससे
दाँत मलकर, कुल्ले करके सो जाना चाहिए। ऐसा करने से वृद्धावस्था
में भी दाँत मजबूत रहते हैं।
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