Tuesday, 19 February 2013

खाना नहीं खाना, प्रसाद पाना



खाना नहीं खाना, प्रसाद पाना

भोजन के समय पैर गीले होने चाहिए लेकिन सोते समय कदापि नहीं। भोजन के पूर्व इस श्लोक का उच्चारण करें-
ʹहरिर्दाता हरि र्भोक्ता हरिरन्नं प्रजापतिः। हरिः सर्वशरीरस्थो भुंक्ते भोजयते हरिः।।ʹ

फिर ʹ प्राणाय स्वाहा। अपानाय स्वाहा। व्यानाय स्वाहा। उदानाय स्वाहा। समानाय स्वाहाʹ। - इन मंत्रों से पंच-प्राणों को आहुतियाँ अर्पण करें। ʹगीता के 15वें अध्याय का भी पाठ करें, फिर भगवान का स्मरण करके प्रसन्नचित्त होकर भोजन करें। इससे भोजन प्रसाद बन जाता है। रात्रि का भोजन हल्का और सुपाच्य होना चाहिए।


0 comments:

Post a Comment