Friday, 1 February 2013
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आजकल देश विदेश में कई जगहों पर मरीज को जरा-सा रोग होने पर भी लम्बी जाँच पड़ताल और अकारण ऑपरेशन करके व लम्बे बिल बनाकर गुमराह करके लूटा जाता है। जिससे समाज की कमर ही टूट गयी है। वैद्यक क्षेत्र से सम्बन्धित इन लोगों के कमीशन खाने के लोभ के कारण मरीज तन, मन और धन से भी पीड़ित हो रहे हैं। कई मरीज बापूजी के पास रोते-बिलखते आते हैं कि 'लाखों रुपये लुट गये, दुबारा-तिबारा ऑपरेशन करवाया, फिर भी कुछ फायदा नहीं हुआ। स्वास्थ्य सदा के लिए लड़खड़ा गया। बापूजी ! अब.....'
पूज्य बापू जी व्यथित हृदय से समाज की दुर्दशा सुनी और इस पर काबू पाने के लिए आश्रम द्वारा कई चल चिकित्सालय एवं आयुर्वैदिक चिकित्सालय खोल दिये। आश्रम द्वारा औषधियों का कहीं निःशुल्क तो कहीं नाममात्र दरों पर वितरण किया जाने लगा। परंतु इतने से ही संत हृदय कहाँ मानता है ? स्वास्थ्य का अनुपम अमृत घर-घर तक पहुँचे, इस उद्देश्य से लोकसंत पूज्य बापू जी ने आरोग्य के अनेकों सरल उपाय अपने सत्संग-प्रवचनों में समय-समय पर बताये हैं। जिन्हें आश्रम द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं 'ऋषि-प्रसाद' व 'दरवेश-दर्शन' तथा समाचार पत्र 'लोक कल्याण सेतु' में समय-समय पर प्रकाशित किया गया है। उनका लाभ लाखों करोड़ों भारतवासी और विदेश के लोग उठाते रहे हैं।
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ReplyDeleteRamparmar96@gmail.com
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ReplyDeleteThank
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ReplyDeleteC.R.Seshadri. Mail: crseshadri1@gmail.com
श्री मान जी हरी ॐ ..
ReplyDeleteमुझे मेरे बाबूजी के ईलाज के बारे में पूछना है , बाबूजी को चलने में बहुत तकलीफ होती सरे शरीर में ऐसा लगता है नशे काम नहीं कर रही है पैरो में तो बिलकुल भी साच नहीं है यहाँ तक की अपने कमीज के बटन भी नहीं लगा सकते हात की उंगली टेढ़ी हो रही है पैरो में सुजन भी आती है कृपया मार्गदर्शन करे..
हमें पूरी जानकारी प्रोडक्ट की रेट के साथ उपलब्ध कराये...
ReplyDeleteईमेल -satyan720634@gmail.com