Sunday 10 February 2013
स्वप्नदोष(Night-Fall)
स्वप्नदोष(Night-Fall)
पहला प्रयोगः बेल के पत्तों का 10 से 50 मि.ली. रस 2 से 10 ग्राम शहद डालकर पीने से अथवा 1 से 2 ग्राम हरड़ को उतनी ही मिश्री के साथ खाने से स्वप्नदोष में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः ठीक से पके हुए दो केलों को छीलकर मसल डालें। उसमें हरे आँवलों का रस एवं शुद्ध शहद एक-एक तोला मिलाकर प्रातः-सायं सेवन करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है। यह प्रयोग थोड़े दिन करें।
तीसरा प्रयोगः 4-5 ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से स्वप्नदोष ठीक होता है।
चौथा प्रयोगः स्वप्नदोष, वीर्यविकार या प्रदररोग में आँवले का चूर्ण एवं समान मात्रा में मिश्री का चूर्ण मिलाकर रात को भोजन के पश्चात् पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
नियमित त्रिबंध प्राणायाम, योगासन, ब्रह्ममुहूर्त में उठना, आश्रम से प्रकाशित पुस्तक "यौवन सुरक्षा" का पठन आदि स्वप्नदोष में लाभदायक है। स्त्री का स्मरण-चिंतन न करें। देर रात्रि को पानी या दूध न पियें।
धातुस्राव होने पर
पहला प्रयोगः गुडुच (गिलोय), गोखरु
एवं आँवले का आधा से 1 ग्राम चूर्ण अथवा 1 से 2 ग्राम त्रिफला चूर्ण पानी के साथ
रोज दो बार लेने से वीर्यस्राव में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः 1 से 2 ग्राम तुलसी के बीज रात्रि को पानी में भीगोकर सुबह
लेने से अथवा बड़ के पत्ते के दूध की कुछ बूँदें बताशे में डालकर रोज सुबह एक बताशे
में डालकर रोज सुबह खाकर ऊपर से दूध पीने से 15-20 दिन में धातुस्राव बंद होकर वीर्य
गाढ़ा होता है।
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