Thursday 11 April 2013

आँखों की असह्य पीड़ा मिटाने हेतु

आँखों की असह्य पीड़ा मिटाने हेतु






(1)आँखों से पानी आना :- आँखों से पानी आता हो तो सूखे धनिये का काड़ा २-२ बूंद आँखों में डाल लीजिये, आँखों
से पानी आना बंद हो जायेगा ।


(2)
सौंधी (रात को न दिखना) (Night Blindness)- पहला प्रयोगः बेलपत्र का 20 से 50 मि.ली. रस पीने और 3 से 5 बूँद आँखों से आँजने से रतौंधी रोग में आराम होता है।
दूसरा प्रयोगः श्याम तुलसी के पत्तों का दो-दो बूँद रस 14 दिन तक आँखों में डालने से रतौंधी रोग में लाभ होता है। इस प्रयोग से आँखों का पीलापन भी मिटता है।
तीसरा प्रयोगः 1 से 2 ग्राम मिश्री तथा जीरे को 2 से 5 ग्राम गाय के घी के साथ खाने से एवं लेंडीपीपर को छाछ में घिसकर आँजने से रतौंधी में फायदा होता है।
चौथा प्रयोगः जीरा, आँवला एवं कपास के पत्तों को समान मात्रा में लेकर पीसकर सिर पर 21 दिन तक पट्टी बाँधने से लाभ होता है।

(3)
आँखों की गर्मी या आँख आने परः नींबू एवं गुलाबजल का समान मात्रा का मिश्रण एक-एक घण्टे के अंतर से आँखों में डालने से एवं हल्का-हल्का सेंक करते रहने से एक दिन में ही आयी हुई आँखें ठीक होती हैं।

(4)
आँख की अंजनी (मुहेरी या बिलनी) (Stye)- हल्दी एवं लौंग को पानी में घिसकर गर्म करके अथवा चने की दाल को पीसकर पलकों पर लगाने से तीन दिन में ही गुहेरी मिट जाती है।

(5)
आँख में कचरा जाने परः पहला प्रयोगः सौ ग्राम पानी में एक नींबू का रस डालकर आँखे धोने से कचरा निकल जाता है। दूसरा प्रयोगः आँख में चूना जाने पर घी अथवा दही का तोर (पानी) आँजें।

(6)
आँख दुखने परः गर्मी की वजह से आँखें दुखती हो तो लौकी को कद्दूकस करके उसकी पट्टी बाँधने से लाभ होता है।

(7)
आँखों से पानी बहने परः पहला प्रयोगः आँखें बन्द करके बंद पलको पर नीम के पत्तों की लुगदी रखने से लाभ होता है। इससे आँखों का तेज भी बढ़ता है।
दूसरा प्रयोगः रोज जलनेति करें। 15 दिन तक केवल उबले हुए मूँग ही खायें। त्रिफला गुगल की 3-3 गोली दिन में तीन बार चबा-चबाकर खायें तथा रात्रि को सोते समय त्रिफला की तीन गोली गर्म पानी के साथ सेवन करें। बोरिक पावडर के पानी से आँखें धोयें इससे लाभ होता है।


(8)
सर्वप्रकार के नेत्ररोगः पहला प्रयोगः पैर के तलवे तथा अँगूठे की सरसों के तेल से मालिश करने से नेत्ररोग नहीं होते।
दूसरा प्रयोगः ॐ अरुणाय हूँ फट् स्वाहा। इस मंत्र के जप के साथ-साथ आँखें धोने से अर्थात् आँख में धीरे-धीरे पानी छाँटने से असह्य पीड़ा मिटती है।
तीसरा प्रयोगः हरड़, बहेड़ा और आँवला तीनों को समान मात्रा में लेकर त्रिफलाचूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 से 5 ग्राम मात्रा को घी एवं मिश्री के साथ मिलाकर कुछ महीनों तक सेवन करने से नेत्ररोग में लाभ होता है।

(9)
आँखों की सुरक्षाः रात्रि में 1 से 5 ग्राम आँवला चूर्ण पानी के साथ लेने से, हरियाली देखने तथा कड़ी धूप से बचने से आँखों की सुरक्षा होती है।





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