7 दिनों में फोड़े-फुंसियों का काम तमाम !

फोड़े-फुंसियों या दाद-खाज खुजली जैसी चमड़ी की बीमारियों को पीछे
प्रमुख रूप से रक्त का दूषित होना होता है। जब शरीर
का खून दूषित यानी गंदा हो जाता है तो कुछ समय के बाद उसका प्रभाव बाहर त्वचा पर भी नजर आने लगता
है। प्रदूषण चाहे बाहर का हो या अंदर का वो हर हाल
में अपना दुष्प्रभाव दिखाता ही है। बाहरी और भतरी प्रदूषण ने मिलकर हमारे शरीर की प्राकृतिक
खूबसूरती को छीनकर कई सारे त्वचा रोगों को जन्म दिया है
फोड़े- फुंसियां भी उन्हीं में से एक हैं।
आज
दुनिया का हर दूसरा व्यक्ति चमड़ी से जुड़े किसी न किसी रोग से जूझ रहा है। खुजली, जलन, फुंसियां, घमोरियां, दराद, लाल-सफेद चकत्ते... जैसी कई समस्याएं हैं जिनसे हर कोई परेशान है या कभी न कभी रह
चुका है। कई बार छूत से यानी इनसे संक्रमित
व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर खुद को भी संक्रमण लगने से भी फोड़े- फुंसी या खुजली जैसी कोई त्वचा
संबंधी समस्या हो सकती है।
यहां
हम कुछ ऐसे घरेलू उपाय दे रहे हैं जो बर्सों से आजमाए और परखे हुए हैं। ये नुस्खे कारगर तो हैं ही साथ ही इनकी सबसे
बड़ी खाशियत यह है कि इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं
है, ऊपर से ये हैं भी बहुत ही सस्ते..
फोड़े फुंसी की चिकित्साः
-थोड़ी सी साफ रूई पानी में भिगो दें, फिर
हथेलियों से दबाकर पानी निकाल दें। तवे पर थोड़ा सा सरसों का तेल डालें और उसमें
इस रूई को पकायें। फिर उतारकर सहन कर सकने योग्य गर्म रह जाय तब इसे फोड़े पर रखकर
पट्टी बाँध दें। ऐसी पट्टी सुबह-शाम बाँधने से एक दो दिन में फोड़ा पककर फूट
जायेगा। उसके बाद सरसों के तेल की जगह शुद्ध घी का उपयोग उपरोक्त विधि के अनुसार
करने से घाव भर के ठीक हो जाता है।
- फोड़े फुंसियों पर वट वृक्ष या बरगद के पत्तों को गरम
कर बाँधने से शीघ्र ही पक कर फूट जाते
-आयुर्वेद के अनुसार नीम की सूखी छाल को पानी के साथ
घिसकर फोड़े फुंसी पर लेप लगाने से बहुत लाभ मिलता है और धीरे-धीरे इनकी समाप्ति हो
जाती है।
- जब तक
समस्या से पूरी तरह से छुटकारा नहीं मिल जाता मीठा यानी शक्कर से बनी, बासी, तली-गली और अधिक मिर्च-मसालेदार चीजों को पूरी तरह से
छोड़ दें।
- फोड़े-फुंसी, दराद या खुजली वाले स्थान पर मूली के बीज पानी में
पीस कर गरम करके लगाने से तत्काल लाभ होता होगा।
- नीम की
पत्तियों को पीस कर फोड़े-फुंसी, दराद या खुजली वाले स्थान पर
लगाने और पानी के साथ पीने से बहुत सीघ्र लाभ होता है।
- नींबू
के छोटे पत्ते खाने से लाभ होता है। नींबू में मौजूद विटामिन सी खून साफ करता है.
फोड़े-फुंसियों पर नींबू की छाल पीसकर लगाएं. सप्ताह में एक बार फोड़े-फुंसिंयों पर
मुल्तानी मिट्टी लगाएं. एक-दो घंटे बाद नहाएं ।
- पालक, मूली के पत्ते, प्याज, टमाटर, गाजर, अमरुद, पपीता आदि को अपने भोजन में
नियमित रूप से शामिल करें।
- सुबह
खाली पेट चार-पांच तुलसी की पत्तियां चूंसने से भी त्वचा रोगों में स्थाई लाभ होता
है।
- पानी
अधिक से अधिक पीएं।
- सुबह
उठकर 2 से 3 किलो मीटर घूमने के लिये
अवश्य जाएं ताकि आपके शरीर और रक्त को शुद्ध ताजा हवा मिल
सके और शरीर का रक्त प्रवाह भी सुधर सके।
जानकारी देने के लिए बहुत धन्याद ...
ReplyDeleteहरि ॐ....
ॐ नम: शिवाय....