कैसे पहचाने- अमरबेल बिना जड़ का पीले रंग का परजीवी पौधा है। यह पेड़ों के ऊपर अपने आप उग आती है। बिना जड़ के पौधों पर ऊपर की ओर चढ़ता है। इसमें गुच्छों में सफेद फूल लगे होते हैं।
उपयोग-
- पेट फूलने एवं आफरा होने पर इसके बीज जल में उबालकर पीस लें। इसका गाढ़ा लेप पेट पर लगाने से आफरा और उदर की पीड़ा खत्म होती है।( हिंगादि हरड़ चूर्ण सेवन से गैस, अम्लपित्त, कब्जियत, आफरा, डकार, सिरदर्द, अपचन, मंदाग्नि, अजीर्ण एवं पेट के अन्य छोटे-मोटे असंख्य रोगों मे लाभ होता है ।)
- खून की खराबी होने पर कोमल ताजी फलियों के साथ तुलसी की चार-पांच पत्तियां चबा-चबाकर चूसना चाहिए।
- इसका रस पीने से मूत्र संबंधी विकार दूर होते हैं।
- अमरबेल के फूलों का गुलकंद बनाकर खाने से याददाश्त में वृद्धि होती है।
- अमरबेल को पानी में उबालकर उससे सूजन वाली जगह की सिकाई करें। कुछ दिनों तक इसका इस्तेमाल करने पर सूजन कम हो जाती है।
- इसके रस में सादा नमक मिलाकर दांतों पर मलने से दांत चमकीले होते हैं।
- अमरबेल की टहनी का दूध चेहरे पर लगाने से गजब का निखार आता है। बाजारू प्रसाधनों कि जगह आयुर्वेदिक ‘’ अच्युताय एलोवेरा जेल “को त्वचा निखार के लिए लगाना ज्यादा अच्छा रहता है।
- अमरबेल के चूर्ण को सोंठ और घी मिलाकर लेप करने से पुराना घाव भरता है या इसके बीजो को पीसकर पुराने घाव पर लेप करें, इससे घाव ठीक हो जाता है।
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