धनिये की पत्तियों में छुपा है सेहत का खजाना इन
बीमारियों में होती है मददगार
धनिये की हरी-हरी पत्तियों की सुगंध किसी
भी व्यंजन की सुंगध और उसके स्वाद को कई गुना बढ़ा देती है। सब्जियों में
हरे धनिये के साथ ही सुखे धनिये का उपयोग भी भारतीय भोजन में बहुत अधिक
मात्रा में किया जाता है।
लेकिन हरे धनिए की कोमल पत्तियां सिर्फ
भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं डाली जाती बल्कि इनका औषधीय महत्व
भी है। इसका सेवन जाने-अनजाने ही आपको कई बीमारियों से निजात भी दिलाता है।
आइये जानें कि धनिया किन-किन बीमारियों या परेशानियों में मददगार हो सकता
है...
- आंखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर
लें। इसकी दो बूंद आंखों
में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं। (आंखों के सभी प्रकार के रोगों में अच्युताय नेत्र बिंदु और अच्युताय हरड
बहेडा आँवला का प्रोयोग अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होता है ।)
- नकसीर : हरा धनिया 20 ग्राम व चुटकी भर कपूर मिला कर पीस
लें। सारा रस निचोड़ लें। इस रस की दो बूंद नाक में दोनों तरफ
टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से खून तुरंत बंद हो जाता है।
- गर्भावस्था में जी घबराना : गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती
महिला को उल्टियां आती है। ऐसे में धनिया का काढ़ा बना कर एक कप
काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है।
- पित्त बढ़ जाने से जी मिचलाना रहता हो तो हरा धनिया पीसकर उसका ताजा रस दो चम्मच की मात्रा में पिलाने से लाभ
होता है। भोजन में हरे धनिये की ताजी पिसी चटनी का प्रयोग करते रहने से
भी जी मिचलाना कम होता है।
- धनिये की हरी पत्तियों को लहसुन, प्याज, गुड़, इमली, अमचूर, आंवला, नींबू, पुदीना आदि के साथ बारीक पीसकर चटनी
के रूप में खाते रहने से पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है तथा भूख खूब
लगती है।
- पित्ती : शरीर में पित्ती की तकलीफ हो तो हरे धनिये के पत्तों का रस, शहद और
रोगन गुल तीनों को मिला कर लेप करने से पित्ती की खुजली में तुरंत आराम होता है।
- पित्त बढ़ जाने पर हरी-पीली उल्टियां आनी शुरू हो जाती हैं। इस अवस्था में हरे धनिया का रस निकालकर उसमें गुलाब
जल मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
- लू लगने पर पर : गर्मी में बाहर जाने से, लू लग जाने पर परेशानी हो रही हो
तो धनिया पीसकर, रस निकालकर, इसे पानी में घोलकर मिठास के लिए
चीनी डालकर पी लें।
- मासिक धर्म में : यदि मासिक धर्म में अधिक रक्त
गिरने लगे तो धनियां पीसें। खांड लें, घी भी। तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर खाएं, आराम मिलेगा।
एक बड़ा
गिलास पानी लें। इसमें दो बड़े चम्मच धनिया डालें। उबालें। जब पानी एक चौथाई रह जाए
तो उतार लें। इसमें मिश्री मिलाकर, छानकर, पी लें, कुछ दिन जारी रखें।
- अधिक गैस बनना : एक गिलास पानी लें, दो चम्मच धनिया मिलाकर उबालें।
छानें, तीन भाग कर, दिन में तीन बार पी लें।
- भोजन में अरुचि : खाना खाने को मन नहीं करता। भरपेट
नहीं खा सकते। पचता भी नहीं, धनिया, छोटी इलायची, कालीमिर्च तीनों एक जैसी मात्रा
में लें। इन्हें पीसकर छानकर शीशी में रखें। चौथाई चम्मच घी तथा आधा चम्मच चीनी
में आधा चम्मच इस चूर्ण को डालकर खायें। चन्द दिनों में अरुचि खत्म।
- श्वास के रोग : खांसी हो, दमा हो, सांस फूलता हो, धनिया तथा मिश्री पीसकर रख लें। एक
चम्मच चावल के पानी के साथ रोगी को पिलाएं। आराम आने लगेगा। कुछ दिन नियमित लें।
- पेट दर्द : आधा गिलास पानी लें। इसमें दो
चम्मच धनिया डालें। उबालें। गुनगुना पिला दें। पेट दर्द ठीक होगा।
- पेशाब में जलन रहना : एक छोटा चम्मच धनिया लें। इसे एक
कप बकरी के दूध में मिलाएं, एक चम्मच मिश्री भी। पीने से पेशाब
की जलन खत्म होगी। धनिया तथा आंवला एक-एक चम्मच (पिसा) रात पानी में भिगो दें।
प्रातः मसलकर छानकर पीने से पेशाब की जलन खत्म होगी। कुछ दिन रोजाना लिया करें।
- गंजापन होने पर : हरा धनिया पीसकर, गंजे पर लेप करें। कुछ दिनों के इस
उपचार से बाल आने लगते हैं। अजमाया जा चुका है।
- कमजोरी : अधिक काम वासना की पूर्ति या
स्वप्नदोष हो जाने से आने वाली कमजोरी में रात को पानी में एक बड़ा चम्मच पिसा
धनिया भिगों दें। प्रातः छानकर पी लें। कुछ दिन नियमित करें। कमजोरी दूर होगी। अतः
धनिया को केवल मसालों में नहीं, दवा के रूप
में भी प्रयोग करें।
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